अंधी-सुरंग -१
उपन्यास क्या वर्तमान राजनीति की एक सच्ची कहानी है, जो राजनैतिक दलों के भीतर फल-फूल रहा है । नैतिकता , विश्वसनीयता और निष्ठा का एक ऐसा विद्रुप चेहरा जो भयावह होकर भी स्वीकार्य है और आम जनता विकल्प के अभाव में बेबस है ।
राजनैतिक दलों का सत्ता के लिए इस्तेमाल होते नए नए जुमलों में आम आदमी किस तरह फँस जाता है ? आज़ादी के इतने सालों बाद भी बुनियादी ज़रूरतों को पूरी करने की बजाय सत्ता किस तरह आम लोगों को नाच नचाती है , वह किससे छिपा है।
- कौशल तिवारी
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